' इस घटना से गांधीजी इतने प्रभावित थे कि 1946 में दिल्ली में सफाई कर्मचारियों की बस्ती में अपने निवास के दौरान एक दिन संघ के स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने 12 वर्ष पूर्व के उस दृश्य का पुन: उल्लेख किया और कहा कि '' मैं स्वयंसेवकों में अनुशासन, अस्पृश्यता का पूर्ण अभाव तथा कठोर सादगी को देखकर अत्यधिक प्रभावित हुआ।